
संगमनगरी में गंगा और यमुना ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। दोनों नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। लोग घर छोड़कर पलायन करने के लिए बाध्य हो गए हैं। बाढ़ राहत शिविरों में पहुंचने वालों की संख्या काफी अधिक हो गई है। इससे राहत केंद्रों की व्यवस्था भी चरमरा गई है। छोटा बघाड़ा स्थित एनी बेसेंट गर्ल्स कॉलेज में बने बाढ़ राहत शिविर की बात करें तो यहां पर 900 से अधिक लोग पहुंच गए हैं। सुबह भोजन नहीं मिलने से लोग नाराज दिखे। दोपहर करीब तीन बजे जब भोजन के लिए कढ़ी-चावल लाया गया तो लोगों ने नाराजगी जाहिर की। भोजन की गुणवत्ता और सफाई पर भी सवाल उठे। बड़ी संख्या में लोगों ने भोजन नहीं किया। कहा कि जो भोजन दिया जा रहा है उसमें न तो नमक है न ही मसाला है। सफाई का भी ध्यान नहीं रखा गया है। ऐसे में तो महामारी फैल जाएगी।
कोरांव के कई गांवों का आवागमन प्रभावित

क्षेत्र में शुक्रवार देर रात्रि से शुरू हुई झमाझम बारिश से सहायक नदियां उफान पर हैं। दर्जन भर से अधिक गांवों का आवागमन प्रभावित हो गया है। मुख्य मार्गों से संपर्क टूट गए हैं। लोगों का मानना है कि यदि रात्रि में फिर बारिश हुई तो बीते 17 जुलाई जैसे हालात हो जाएंगे। लपरी नदी के आसपास बसे कई गांवों का आवागमन प्रभावित हो गया है।
सुहास से बिसरी जाने वाले संपर्क मार्ग पर बने रपटा पुल पर पानी का तेज बहाव हो गया है। इसी तरह जमुआ गांव में भी बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। लपरी नदी पर बना रपटा पुल पूरी तरह से डूब गया है। वहीं भलुहा गांव के कई मजरे जैसे करबालपुर, सुगंधिया आदि गांव के लोगों का आना जाना ठप हो गया है।
संसारपुर गांव के प्रधान मुख्तार अहमद सिद्दीकी ने बताया कि पहाड़ी नदियों में अचानक पानी बढ़ जाने से ग्रामीणों की आवाजाही बंद हो गई थी। रामपुर गांव के कोमल यादव ने बताया कि सेवटी पर बना रपटा पुल पूरी तरह से डूब गया है। जिससे सेमरिहा, शिवपुर, सहित गांव के लोगों का आना जाना पूरी तरह से प्रभावित हो गया है।
हंडिया में सड़क पर जल भराव से तीन गांवों का टूटा संपर्क

गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण लाक्षागृह पृथ्वीपुर मार्ग से जोगियापुर होते हुए कंदला मवैया, कंदला कसौधन तथा रावतपुर को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर बाढ़ का पानी जमा हो गया है। इससे आवागमन ठप हो गया है। इन गांवों के लोग पिपरी होते हुए अपने गंतव्य स्थल को जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। इन गांवों की निचली सतह की फसलें भी जलमग्न हो गई है। गंगा के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी का सिलसिला यदि जारी रहा तो क्षेत्र की गंगा तटीय दर्जनों बस्तियां बाढ़ की चपेट में आ जाएंगी।
करछना में विकाराल हुआ बाढ़ का दंश, घरों में कई फिट तक लगा पानी

करछना तहसील क्षेत्र में पिछले कई दिनों से लगातार गंगा, यमुना और टोंस नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है। इसके चलते क्षेत्र के कचरी वाया पनासा, देहली-कटका, महेवा-कटका, ताला, हथसरा सहित दर्जनों गांव की विभिन्न संपर्क मार्ग पर बाढ़ का पानी आ गया है। अब ग्रामीणों के साथ राहगीरों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा हैं।
शुक्रवार रात को टोंस नदी के जलस्तर में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके चलते कछारी इलाके में निवास करने वाले कटका डेरा गांव के रामचंद्र निषाद, रवि शंकर निषाद, राम नरेश निषाद, कालूराम निषाद, मिश्रीलाल निषाद, शिव पूजन निषाद, उमेश्वरी देवी, नीरज कुमार, धीरज कुमार, धनराज, मनिराज, जलज कुमार मेडरा गांव के देवराज निषाद, त्रिभुवन हरिजन, ज्ञानचंद, रामबाबू, फूलचंद, रामू निषाद, बसंत लाल, राकेश चतुरी, त्रिलोकी नाथ सहित अन्य ग्रामीण के घर में पानी भर गया है।

